Nyayapalika ke bahuaayam /
Prabhat Kumar.
- New Delhi : Vidya Vihar, 2019.
- 256 p. ; 21 cm.
Includes bibliographical references and index.
स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका किसी भी देश के व्यवस्थित जीवन की आवश्यक शर्त है; इसके बिना सभ्य राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। न्यायपालिका सरकार का तीसरा सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की है। न्यायपालिका देश के संविधान एवं मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है; आवश्यकता पड़ने पर कानूनों की व्याख्या करती है। प्रस्तुत पुस्तक को 9 अध्यायों में बाँटा गया है। प्रथम अध्याय में भारत में ब्रिटिश न्याय व्यवस्था; द्वितीय में सर्वोच्च न्यायालय; तृतीय में उच्च न्यायालय; चौथे में न्यायिक पुनरावलोकन; पाँचवें में जनहित याचिका एवं न्यायिक सक्रियता; छठे में अधीनस्थ न्यायालय; सातवें में न्यायपालिका पर उठते प्रश्न; आठवें में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय व निर्देश तथा नौवें में न्याय व्यवस्था से जुड़े विभिन्न लेख दिए गए हैं। न्यायपालिका के विविध आयामों पर प्रस्तुत यह संपूर्ण पुस्तक सुधी पाठकों विशेषकर स्नातक; परास्नातक एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।